...
.....
मैं पांचाली-पुंश्चली
आज स्वयं को कृष्णा कहती हूँ
डंके की चोट!
मुझे कभी न भूलेगी कुरुसभा की अपनी कातर पुकार
और तुम्हारी उत्कंठा
मुझे आवृत्त कर लेने की
ओह! वे क्षण
बदल गई मैं
सुनो कृष्ण! मैंने तुम्हीं से प्रेम किया है
दोस्ती की है
तुमने कहा-
“अर्जुन मेरा मित्र मेरा हमरूप मेरा भक्त है
तुम इसकी हो जाओ
मैं उसकी हो गई”
तुमने कहा-
“माँ ने बाट दिया है तुमको अपने पाँचों बेटो के बीच
तुम बँट जाओ
मैं बँट गई
तुमने कहा-
सुभद्रा अर्जुन प्रिया है
स्वीकार लो उसे
और मैंने उसे स्वीकार लिया
प्रिय! यह सब इसलिए
कि तुम मेरे सखा हो
और प्रेम में तो यह होता ही है!
सब कहते हैं-
अर्जुन के मोह ने
हिमदंश दिया मुझे
किन्तु मैं जानती हूँ
कि तुम्हीं ने रोक लिए थे मेरे क़दम
मैं आज भी वहीं पड़ी हूँ प्रिय
मुझे केवल तुम्हारी वंशी की तान
सुनाई पड़ती है
अनहद नाद-सी ।
( साभार काव्यावली से )
प्रेषिका
गीता पंडित ..
12 comments:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है.. सच लगती है.. इतिहास चाहे इस पर मौन हो लेकिन एक स्त्री मन युगों बाद भी स्त्री मन को समझ सकता है.. आभार.
मानस हंसा रूप कवितायेँ .... बार बार मन को छू जाती.. भाव कलश पर आपकी कवितायेँ पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.. उत्तम!
एक अलग ही अंदाज कविता का.... बेहतरीन प्रस्तुती....
एक नया नजरिया पांचाली के प्रति ...अच्छी लगी रचना
वाह,बहुत बढ़िया,जिद बौद्धिकता से द्रौपदी को मिथक ने गढा है,उसी प्रखर बौद्धिकता का संवहन.बहुत बढ़िया से ज्यादा मुझे कुछ नहींसूझ रहा.
द्रौपदी पर इससे प्यारी कोई रचना नहीं पढ़ी ...
सुमन की हर कविता हर बार नए तरीके से सोचने पर मजबूर करती है. ताज़गी. हर बार ताज़गी. इसी लिए भारीपन कभी नहीं लगता. शुर्क्रिया सुमन. और गीता जी का भी शुक्रिया.
प्रिय !!!!!!!!!!! यह सब इसीलिए की तुम सखा हो और प्रेम में तो ये """ही""" होता है ...इसी ""ही ""'में जीवन सिमट गया सही में प्रेम और सखा के बीच पहला सूत्र ही दान है ...जीवन का समर्पण(दान ) किसी दुसरे के प्रति युगों तक याद रहा करता है ...ये ही शाश्वत और जीवन का सत्य है ...मैने हो सकता है अलग नजिरये से देखा हो पर दो के बीच प्रेम की सखा के बीच इतिहास में पराकाष्ठा है ये :""""ही """!!!!!!!!सुंदर ...बहुत ही सुंदर !!!!!!शुक्रिया अपर्णा जी को भी शेयर करने का !!!!NIRMAL PANERI
सर्वोत्तम शब्द सर्वोत्तम क्रम
बेहद सुंदर
सखी तुम मीत हो।कृष्णा के आत्मिक प्रेम की रखवाली प्रेम के अनहद नाद को सुनाने वाली
बेहद सुंदर कविता
Post a Comment