Akhir Mamla Kya Hai!
--sheeba aslam fehmi
कल जो कुछ मेरे परिवार के साथ हुआ है उसकी एक बहुत ही संछिप्त प्रष्ठभूमि आप सब को बताना चाहती हूँ. घटना-क्रम इतना लम्बा है की इस समय एक एक घटना और लेखों पर प्रतिक्रिया का विवरण बताया नहीं जा सकता. मेरे परिवार पर अहमद बुख़ारी के गुंडों का यह पहला हमला नहीं है. पिछली घटनाओं की अब तक FIR नहीं लिखी गई है, जिसके लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा है. मामले को पेंडिंग में देख कोर्ट ने अपनी तरफ़ से दिल्ली-पुलिस को आदेश दिए की हमें सुरक्षा मुहैया कराइ जाए, और 2008 से ही हमें पुलिस संरक्षण प्राप्त है.
साथियों आपको मेरे परिचय की ज़रुरत नहीं. मैं क्या लिखती हूँ, किन मुद्दों को उठती हूँ ये कमोबेश आप जानते ही हैं. पिछले दिनों ndtv इंडिया पर अभिज्ञान प्रकाश के 'मुकाबला' कार्यक्रम में 'जिहाद' पर हुई बहस के बाद भी मुझे धमकियाँ मिली थीं. इसके पहले के लेखों में ग़ैर-प्रगतिशील मुल्ला वर्ग पर लिखने के कारण धमकियाँ मिलती ही रही हैं. कल भी जो घटना घटी उसमे कहा गया की 'टीवी पर जो बोलती हो वो काम नहीं आएगा'. 'परिवार के एक भी आदमी को ज़िन्दा नहीं छोड़ेंगे'. 'चंनेलवालों को बुला कर दिखा दो...
जहाँ तक इमाम अहमद बुख़ारी का सवाल है, मैंने कई लेखों में राष्ट्रीय धरोहर जामा मस्जिद को, बुख़ारी परिवार के चंगुल से आज़ाद कराने पर सख्त लिखा है .
मेरे पति अरशद अली फ़हमीजी, जो की दीन-दुनिया पत्रिका के उप-संपादक हैं वे पत्रकार के साथ साथ एक RTI अकतिविस्ट भी हैं. अब तक वे विभिन्न मामलों में लगभग 20 RTI लगा चुके हैं. यह इत्तेफ़ाक है की मैंने और मेरे पति दोनों ने ही अब तक कई कवर stories ,लेख और रिपोर्ट्स की हैं जो की अहमद बुख़ारी के आर्थिक हितों के विरूद्ध हैं, जिनमे लीब्या के सदर कर्नल घद्दाफी के यहाँ से आनेवाली कैश मदद को रुकवाने से लेकर बुख़ारी के अवैध निर्माण जो की शाही जामा मस्जिद परिसर के अन्दर जबरन बनाए गए हैं, और जिनके लिए कोर्ट से आदेश हैं की इन्हें हटाया (तोड़ा) जाए, भी शामिल हैं. बुख़ारी के चुनावी फतवों पर मैंने हिंदी-अंग्रेज़ी और मेरे पति ने उर्दू में ख़ूब लिखा है. इसी के साथ साथ हमने एक पोस्टर काम्पैग्न भी चलाई है जिनमे बुख़ारी के भ्रष्टाचार के स्रोत्रों पर सवाल उठाए हैं. ये सभी बातें राष्ट्रीय मीडिया में ख़ूब उठाई गई हैं.
इस समय जो सबसे ज़रूरी RTI जिसने बुख़ारी परिवार के हितों को आहत किया है वो है जिसमे हमने सम्बंधित विभाग से पूछा है की "जामा मस्जिद परिसर के अन्दर मौजूद Gate नंबर -3 में पार्क को क़ब्ज़ा कर उसे पार्किंग में बदल कर जो VIP पार्किंग चलाई जा रही है उसका क्या status है? क्या वह MCD द्वारा आवंटित पार्किंग है?" साथियों इस पार्किंग में कार के 50 /- प्रति ghanta और बस के 800/- प्रति दिन का रेट है, जो की पूरी दिल्ली में कहीं नहीं है. इस महंगी पार्किंग की कमाई सीधे बुख़ारी की जेब में जाती है, हर रोज़ यहाँ 150 से अधिक ही गाड़ियाँ आती हैं. अपने हालिया लेख 'ये शाही क्या होता है?' में भी इस मुद्दे को मैंने उठाया था, शायद आपको याद हो.
इसके अलावा जामा मस्जिद में चोरी की गाड़ियाँ काटी जाती हैं, जिसमे हाल ही में दो बार अपराधियों का रंगे हाथों पकड़वाया है. जामा मस्जिद क्षेत्र में अवैध करन्सी-एक्स्चंग की लगभग 350 अवैध दुकाने हैं जिनपर अगली RTI कल ही तैयार की गई थी... इन सभी मामलों में आर्थिक अपराधियों का अहित लाज़मी है और यह सभी अपराध किसकी छात्र छाया में पनप रहे हैं यह बताने की ज़रुरत नहीं.
परसों शाम ही एक कश्मीरी मज़दूर जो की gulf से लौटा था उसके लगभग 218000 /- के कर्रेंसी-एक्स्चंग के मामले में एक दूकानदार ने 44 हज़ार रूपये ये कह कर कम दिए की यह टैक्स और service चार्ज में कट गए,जबकि उसके पास इस कारोबार का licence भी नहीं, तो सरकारी टैक्स देने का सवाल ही नहीं पैदा होता. उस मज़दूर ने जब पैसा माँगा तो उसे मार कर भगा दिया गया. ऐसी सूरत में किसी ने उसे हमारे अख़बार के दफ़्तर भेजा की वहां मदद मिल सकती है. अरशद जी ने मामले को समझते हुए लोकल पुलिस को बुलाया और फिर उस दुकानदार को बुला कर मामला सुलझाने की कोशिश की.दुकानदार पैसा देने का राज़ी नहीं था इत्तेफ़ाक से वो उस अपराधी का बेटा निकला जो की चोरी की गाड़ियाँ कटवाता है. बहरहाल पुलिस के दबाव में उसे उस मज़दूर का पैसा वापिस करना पड़ा. लेकिन यह इत्तेफ़ाक था की दोनों मामले बाप-बेटे के निकले और दोनों ही अपराधी हैं और बुख़ारी के नजदीकी हैं तो उनके नाम की धौंस देते रहे. इस तरह कई चीज़ें आपस में जुड़ गईं थीं, हमारे पास भी उसी शाम फ़ोन आ गया था की कल हिसाब चुकाया जाएगा, हमने पुलिस को इत्तेला भी कर दी थी..... बाक़ी, कल की घटना की शुरुआत भी 'इमाम बुख़ारी ज़िन्दाबाद', के नारों से हुई... बाद की सारी घटना आप सब जानते हैं ....
इस घड़ी में आप सब दोस्तों ने जो हौसला बढाया है, एक एक साथी के प्रति मैं बेहद शुक्रगुज़ार हूँ ... दिल चाह रहा है की एक एक का नाम ले कर शुक्रिया अदा करूँ... लेकिन इस वक़्त मुमकिन नहीं.
bahooooot shukriya!
शीबा!
plz excuse for the typos in the text. really tired and disoriented :(
प्रेषिका
गीता पंडित