tag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post3939727845590051887..comments2024-02-02T09:00:09.774-08:00Comments on हम और हमारी लेखनी: कुछ कवितायें ... अरुण कमल गीता पंडितhttp://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-64307154125933660462015-06-05T08:32:23.451-07:002015-06-05T08:32:23.451-07:00सभी रचनायें पठनीय...खासकर पहली रचना 'स्वप्न...सभी रचनायें पठनीय...खासकर पहली रचना 'स्वप्न' की अन्तिम पंक्ति "बदले न भी जीवन तो जीवित बचे बदलने का यत्न" कविता को के उद्देश्य को पूरा करती हैअभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/14627282206279494025noreply@blogger.com