tag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post6591448084229095591..comments2024-02-02T09:00:09.774-08:00Comments on हम और हमारी लेखनी: "उमराव जान" ... प्रभात पाण्डेयगीता पंडितhttp://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-42263532039615010102011-05-15T00:31:33.533-07:002011-05-15T00:31:33.533-07:00बहुत सुन्दर !
सर्जक संवेदना के हाथों से कितनी पाक...बहुत सुन्दर ! <br />सर्जक संवेदना के हाथों से कितनी पाकीजा और संजीदा मूर्ति बनाता है, ऐसी प्राण-प्रतिष्ठा कर देता है कि हम उससे बतियाते हैं, देर तक! सारी जाति-धरम-पवित्रता के फिजूल की सीमाएँ तोड़! <br /><br />मन कहता है लौट जाऊँ इतिहास में दो बोल सुन आऊँ, सबसे बताऊँ कि हमने उस अथाह चुप्पी को छुआ जिसका चेहरा आने वाला वक्त जाने कितनी बार बनाएगा/बिगाड़ेगा! कहूँ कि एक समयातीत रूह से मिला जिसकी पाकीजगी को जालिम समाज ने कभी रूपजीवा, नगर-वधू, तवायफ, वेश्या जाने क्या क्या कहा!! <br /><br />पुनः शुक्रिया!!Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-21806507567424343452011-05-04T02:00:59.976-07:002011-05-04T02:00:59.976-07:00ravi kumar, ek vidrohi kavi ki kavita, mujhe bahut...ravi kumar, ek vidrohi kavi ki kavita, mujhe bahut achi lagivirenhttps://www.blogger.com/profile/02772511823570254473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-74776368039145645962011-05-04T01:07:53.709-07:002011-05-04T01:07:53.709-07:00उमराव जन ‘रुसवा ‘ की , उमराव जान मुजफ्फर अली की औ...उमराव जन ‘रुसवा ‘ की , उमराव जान मुजफ्फर अली की और अब प्रभात पाण्डेय जी की उमराव जान ---मूलतः कुछ भी नहीं बदला |<br />उमराव जान की आत्मा जस की तस |<br />प्रभात जी ! सिर्फ पुस्तक नहीं है आपकी उमराव जान ,एक शजरा है अपने आप में | सोने पर सुहागा यह , कि माहौल ज्यों का त्यों ,अंदाज़ ज्यों का त्यों और ज़ुबान ज्यों की त्यों |<br />भई वाह ! क्या कहना ! <br />दिल बाग़ बाग़ होता है , तो कई बार ज़ुबान या कहिए कलम ख़ामोश हो जाती है | जैसे कि मैं , न चाहते हुए भी , ख़ामोश रहा | क्यों कि गुम था उमराव में , और अभी भी हूँ |<br />“ पूछा तो <br />कुछ न बोला <br />सिरहाने का हारसिंगार <br />शाखों से टपका दिये उसने <br />फूल दो चार |”<br />मैं भी ख़ैरमकदम करता हूँ उमराव का , और कड़ी-दर-कड़ी , कदम –दर-कदम अपने पाठकों से रु-ब-रु कराने के लिए आपका शुक्रिया |<br /> बेशक यह काफी नहीं है प्रभात जी !<br /><br />प्रवीण पंडितpraveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-72427521119863385482011-05-03T10:56:30.688-07:002011-05-03T10:56:30.688-07:00" हम और हमारी लेखनी "
की तरफ से अभिनन्द..." हम और हमारी लेखनी " <br />की तरफ से अभिनन्दन <br />और आभार आदरणीय प्रभात पाण्डेय जी का <br /><br /><br />सादर <br />गीता पंडितगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-10694238481353062422011-05-02T05:35:13.615-07:002011-05-02T05:35:13.615-07:00आर रवि जी आपकी सुंदर सार्थक रचना के लियें ..आभार औ...आर रवि जी आपकी सुंदर सार्थक रचना के लियें ..आभार और बधाई..गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-73643022039945187912011-05-02T05:33:08.263-07:002011-05-02T05:33:08.263-07:00सभी मित्रों का आभार...
भविष्य में भी इसी स्नेह की ...सभी मित्रों का आभार...<br />भविष्य में भी इसी स्नेह की कामना करती हूँ....<br /><br /><br />शुभ-कामनाएं..<br />गीता पंडितगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-14724044208492788842011-05-02T05:30:37.993-07:002011-05-02T05:30:37.993-07:00अशोक पाण्डेय जी ! ये अंश हैं केवल मात्र उस कविता स...अशोक पाण्डेय जी ! ये अंश हैं केवल मात्र उस कविता संग्रह के ....<br /><br />आभार...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-90355672513850028712011-04-30T11:24:51.498-07:002011-04-30T11:24:51.498-07:00अच्छा लगा इस रचना से गुजरना...क्या यह पूरी कविता ह...अच्छा लगा इस रचना से गुजरना...क्या यह पूरी कविता है...शायद नहीं..पूरी कैसे मिल सकती है?Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-33207203503429198022011-04-30T09:14:40.025-07:002011-04-30T09:14:40.025-07:00बेहद सराहनीय ...भारत में एक ढौर ( जानवर ) से ज्या...बेहद सराहनीय ...भारत में एक ढौर ( जानवर ) से ज्यादा कीमत नहीं समझी गई स्त्री की ...कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक चीज समझी स्त्री को यहाँ ...झूठा दंभ वारले वाले अतीत की ना जाने कितनी बड़ाई करते है मगर हमारी पौराणिक स्त्री भी कितने कठीन दौर से गुज़री आप अंदाजा लगाइए ..आज भी स्तिथि बहुत ज्यादा अच्छी नहीं ...MUKANDAhttps://www.blogger.com/profile/16150479467654655066noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-33235816045335273172011-04-30T09:08:10.273-07:002011-04-30T09:08:10.273-07:00उस रात
चाँद नहीं निकला था
आकाश अँधेरे से
सरोबार था...उस रात<br />चाँद नहीं निकला था<br />आकाश अँधेरे से<br />सरोबार था,<br />पुरुष ने स्त्री को देखा<br />उसने उसकी देह की भाषा<br />पढ़ ली थी,<br />उसको बहलाया फुसलाया<br />उसके कसीदे में गीत लिखे<br />उस पर कविताएं लिखी<br />उसको आजादी का अर्थ बताया<br />तरक्की के गुण बताये,<br />आखेट पर निकलने का शौक रखने<br />वाले की तरह<br />जगह जगह जाल बिछाया<br />नारी मुक्ति की बात कही<br />उसके रूप का वर्णन किया<br />सपनों के स्वपनिल संसार का<br />झूठ बोला,<br /><br />स्त्री ने प्यार भरी आँखों से<br />उसकी आँखों में झांका,<br />तीतर की तरह पंख फड़फड़ाता<br />पुरुष उसको<br />निरीह सा लगा<br />वह उसे देखकर मुस्कराई<br />और सपनो के सुनहरे संसार में<br />उड़ने लगी,<br /><br />आकाश की उत्कंठा में<br />लुका-छिपी का खेल देर-देर तक<br />चलता रहा<br />थके हुए क्षणों से<br />जिस चीज पर नारी नीचे गिरी<br />वह पुरुष का करीने से<br />बिछाया हुआ बिस्तर था.........आर रवि ..एक विद्रोही कविMUKANDAhttps://www.blogger.com/profile/16150479467654655066noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-49838637127379975482011-04-28T01:48:47.540-07:002011-04-28T01:48:47.540-07:00सुनाता रहा हाशिम ढेर सारी बातें .....
बातें उन रा...सुनाता रहा हाशिम ढेर सारी बातें .....<br /><br />बातें उन रातों की भी<br />जब इर्दगिर्द की तमाम क़ब्रों पर<br />कन्दीलों की टिमटिमाहट,<br />...तुम्हारी क़ब्र पर -<br />हाँ, तुम्हारी क़ब्र पर उमराव जान<br />साल दर साल<br />चराग़ का नामोनिशान तक नहीं ....<br /><br /><br />आह !!!!!!!!!!!<br /><br /><br />" पीर की कैसी कहानी लिख रही है लेखनी " <br /><br /><br />सादर <br />गीता पंडितगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-14326803955961545312011-04-27T22:30:51.924-07:002011-04-27T22:30:51.924-07:00ek pyaari si rachna , jisne man moh liya , aur muj...ek pyaari si rachna , jisne man moh liya , aur mujhe kuch likhne ke liye bhi prerit kiya ... dhanywaad.vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-46564388057189854702011-04-27T22:18:22.648-07:002011-04-27T22:18:22.648-07:00बढ़िया... प्रभात जी की यह रचना वाकई अच्छी होगी.. इ...बढ़िया... प्रभात जी की यह रचना वाकई अच्छी होगी.. इसके अंश दिलचस्प है... आभारविमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-89516081751457922822011-04-27T10:16:19.776-07:002011-04-27T10:16:19.776-07:00बड़ी मार्मिक रचना है प्रभात पाण्डेय जी की ! कोई उम...बड़ी मार्मिक रचना है प्रभात पाण्डेय जी की ! कोई उमराव जान ,सीता,और अम्बपाली की जगह खुद को रख कर देखे और उस संत्रास ,आतंक,और तड़प से होकर गुजरे <br />जिसे देह से कट कर अलग हुआ अंग अनुभव करता है ,तभी वह उस संवेदना को छू सकेगा जिसे कवि ने भोगा और जिया है अपनी कविता में ! गीता जी आपको बधाई,जो हमें इस कविता से जोड़ा !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-65301038773979398482011-04-27T10:13:49.899-07:002011-04-27T10:13:49.899-07:00This comment has been removed by the author.अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-66447149745478804182011-04-27T05:34:21.520-07:002011-04-27T05:34:21.520-07:00बहुत सुंदर लिखा है प्रभात जी ने ! 'उमराव जान&#...बहुत सुंदर लिखा है प्रभात जी ने ! 'उमराव जान' से पुनः मिलने जैसा है, उस किताब को पढ़ना ।सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-25754306400187888062011-04-27T05:31:35.345-07:002011-04-27T05:31:35.345-07:00bahut pyari si rachna.......bahut pyari si rachna.......मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-82164951204488059582011-04-27T05:23:53.800-07:002011-04-27T05:23:53.800-07:00पीर तेरी तो रही अजानी
नयना बरसें कहें कहानी |
ह...पीर तेरी तो रही अजानी<br />नयना बरसें कहें कहानी |<br /><br /><br /><br />हाय री हत भागी नारी!!!!!!! तेरे किसी रूप ने उसे आकर्षित नहीं किया |<br />नेह की गंगा यमुनी बनी दौडती रही जीवन भर ...<br /><br /><br />आह!!!!!गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.com