tag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post3098497661921789206..comments2024-02-02T09:00:09.774-08:00Comments on हम और हमारी लेखनी: "कि जीवन ठहर ना जाये' काव्य-संग्रह रचनाकार-माया मृग-गीता पंडितhttp://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-71030789182563361052011-05-31T22:14:09.761-07:002011-05-31T22:14:09.761-07:00नदी
बहुत दु:खी रहती है नदी इन दिनों (1)
नदी,
बहु...नदी<br />बहुत दु:खी रहती है नदी इन दिनों (1)<br /><br />नदी, <br />बहुत दु:खी रहती है नदी इन दिनों !<br />पर्वत की कोख से फूटी पीड़ा को <br />समेटे,<br />पिता की सजल आँखों से दूर....<br />विदा होती हुई नदी...<br />पत्थरों से लड़ती ...परास्त होती हुई ,<br />पछाड़ खाती लहरों को <br />सीने से चिपकाए -<br />रोती कलपती...<br />आगे बढ़ती हुई नदी...<br />तटों के स्पर्श से -<br />सिहर-सिहर उठती नदी...<br />कुछ सोचती ...बुदबुदाती...<br />अक्सर खोई –खोई -सी रहती है नदी !<br />अपना सब कुछ देती हुई…..<br />अत्मसमर्पित होने को बेचैन -<br />लालसा भरी नदी !<br />सपना देखती नदी !!<br />सागर के वक्ष से सटी...<br />स्वयं को विलीन करती हुई नदी...<br />नि:शब्द ...नीरव क्षणों को जीती हुई नदी...<br />खाली-खाली-सी , सहमी-सहमी-सी नदी...<br />थकी ...उदास नदी !<br />सन्नाटों भरी ज़िन्दगी जीती हुई नदी...<br />इन दिनों बहुत दु:खी रहती है !<br />बहुत दु:खी रहती है नदी इन दिनों !!Parimalenduhttps://www.blogger.com/profile/04057200416689792789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-42715582084330435512011-05-31T22:13:46.155-07:002011-05-31T22:13:46.155-07:00नारी-जीवन नदी के जीवन की तरह होता है। नारी का जीवन...नारी-जीवन नदी के जीवन की तरह होता है। नारी का जीवन केवल देते जाने का नाम है, स्नेह...ममता..प्रेम..कोमलता...मधुरिमा और भी बहुत कुछ लेकिन पाने की कोई लालसा लालसा ही रह जाती है... यही कारण है कि -<br /><br />बहुत दु:खी रहती है नदी इन दिनों <br /><br />नदी, <br />बहुत दु:खी रहती है नदी इन दिनों !<br />पर्वत की कोख से फूटी पीड़ा को <br />समेटे,<br />पिता की सजल आँखों से दूर....<br />विदा होती हुई नदी...<br />पत्थरों से लड़ती ...परास्त होती हुई ,<br />पछाड़ खाती लहरों को <br />सीने से चिपकाए -<br />रोती कलपती...<br />आगे बढ़ती हुई नदी...<br />तटों के स्पर्श से -<br />सिहर-सिहर उठती नदी...<br />कुछ सोचती ...बुदबुदाती...<br />अक्सर खोई –खोई -सी रहती है नदी !<br />अपना सब कुछ देती हुई…..<br />अत्मसमर्पित होने को बेचैन -<br />लालसा भरी नदी !<br />सपना देखती नदी !!<br />सागर के वक्ष से सटी...<br />स्वयं को विलीन करती हुई नदी...<br />नि:शब्द ...नीरव क्षणों को जीती हुई नदी...<br />खाली-खाली-सी , सहमी-सहमी-सी नदी...<br />थकी ...उदास नदी !<br />सन्नाटों भरी ज़िन्दगी जीती हुई नदी...<br />इन दिनों बहुत दु:खी रहती है !<br />बहुत दु:खी रहती है नदी इन दिनों !!Parimalenduhttps://www.blogger.com/profile/04057200416689792789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-39892072995127066162011-05-27T06:14:24.552-07:002011-05-27T06:14:24.552-07:00काव्यसंग्रह के बारे में अच्छी जानकारी ... अच्छी रच...काव्यसंग्रह के बारे में अच्छी जानकारी ... अच्छी रचनाएँ पढवाने के लिए आभारसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-82241680731431253292011-05-26T01:24:39.481-07:002011-05-26T01:24:39.481-07:00komal bhavnaao ko bahut komal shabdo me hee vayakt...komal bhavnaao ko bahut komal shabdo me hee vayakt kiya hai kavi ne. shabd bojh nahi bante aur bhavnaaye apna aakash dhoondh leti hai. meri or se maya mrig ji ko bahut badhai aur aapka dhanyvaad gitaji.लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-26783285644228042132011-05-25T01:45:48.745-07:002011-05-25T01:45:48.745-07:00बहुत खास , बहुत ही अलग दृष्टिकोण से रची गई रचनाएँ...बहुत खास , बहुत ही अलग दृष्टिकोण से रची गई रचनाएँ --- मन भीगा भीगा सा लगा |<br /> सुनहरी दानों के माध्यम से कविता उपजाती हुई काली नायिका , तानी रस्सी के मानिंद संबंधों के पुनर्गठन की यातना , रास्ते के बचे रहने के बावजूद आँखों का तुम पर ही रहना उर प्रियतमा को उसके पूरे अतीत के साथ स्वीकार कर लेने की बलवती आकांक्षा -- सब कुछ नितांत नया सा और मन मे घर करता सा है |praveen pandithttps://www.blogger.com/profile/04969273537472062512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-59711577844311707002011-05-24T22:10:11.736-07:002011-05-24T22:10:11.736-07:00"हम और हमारी लेखनी" की तरफ से
माया मृग ..."हम और हमारी लेखनी" की तरफ से <br />माया मृग जी !आपका हार्दिक अभिनंदन <br /><br /><br /> आभार और<br />शुभ-कामनाएं..<br /><br /><br />सस्नेह<br />गीता पंडितगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-64970202218621343872011-05-24T19:46:58.437-07:002011-05-24T19:46:58.437-07:00काव्यसंग्रह के बारे में अच्छी जानकारी ... अच्छी रच...काव्यसंग्रह के बारे में अच्छी जानकारी ... अच्छी रचनाएँ पढवाने के लिए आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-88073609645910516002011-05-24T19:28:59.422-07:002011-05-24T19:28:59.422-07:00कवितायें बेहतरीन,मन को छू गईं।कवितायें बेहतरीन,मन को छू गईं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-39542762356582425552011-05-24T11:16:20.479-07:002011-05-24T11:16:20.479-07:00This comment has been removed by the author.गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-41104490490704200262011-05-24T11:12:55.772-07:002011-05-24T11:12:55.772-07:00ओ प्रियतमा
तुम्हारे चेहरे पर गहराती झाइयां
तुम...ओ प्रियतमा <br /><br />तुम्हारे चेहरे पर गहराती झाइयां <br /><br />तुम्हारे गुज़रे हुए कल में<br />...<br />झेली हुई धूप के निशान हैं|<br /><br />सूरज की एक एक किरण से <br /><br />रोशनी के लिए<br /><br />कितना लड़ी हो तुम |<br /><br /><br /><br />मर्मान्तक पंक्तियाँ... <br /><br />आभार माया मृग जी ...<br />आभार माया मृग जी...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-15875400312273008392011-05-24T10:17:27.676-07:002011-05-24T10:17:27.676-07:00सारी कवितायें बेहतरीन मनोभावों का संग्रह हैं।सारी कवितायें बेहतरीन मनोभावों का संग्रह हैं।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-27475526806133876152011-05-24T05:16:20.093-07:002011-05-24T05:16:20.093-07:00कविताएं कहीं मन को छू गईं।कविताएं कहीं मन को छू गईं।मथुरा कलौनीhttps://www.blogger.com/profile/08652709661569445696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3736717499710146255.post-24305381416671478672011-05-24T04:16:47.607-07:002011-05-24T04:16:47.607-07:00बहुत बहाने थे …मैं सिहर सकता था , मैं ठहर सकता था…...बहुत बहाने थे …मैं सिहर सकता था , मैं ठहर सकता था…किन्तु तुम पर थीं मेरी आँखें<br /><br />बहुत सुंदरपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.com